ऋषिकेश(आरएनएस)। परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन हो गया। सात दिवसीय महोत्सव में साधकों ने योग, ध्यान के साथ ही अन्य अध्यात्मिक गतिविधियों में शिरकत की और इसकी महत्ता के बारे में जाना। अंतिम दिन विशेष गंगा आरती के साथ प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर के गीतों ने जहां योग महोत्सव में रंग जमाया। वहीं गीतों की शानदार प्रस्तुति पर योग साधक जमकर नाचे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, प्रेम बाबा और साध्वी भगवती सरस्वती द्वारा प्रेम और आध्यात्मिकता पर आधारित विशेष जिज्ञासा समाधान सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें प्रेम, करुणा और शांति के महत्व को समझाया गया और जीवन में इसे कैसे आत्मसात करना है इस पर विशेष चर्चा की गई। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि सभी के भीतर एक अद्वितीय शक्ति और प्रेम का स्रोत है, जिसे केवल जागरूकता और साधना के माध्यम से पहचाना जा सकता है। अगर हम शांति के वास्तविक संवाहक बनना चाहते हैं, तो हमें पहले अपने भीतर के अशांति और नकारात्मकता को समाप्त करना होगा। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग, ध्यान और साधना के द्वारा हम अपनी आत्मा के गहरे हिस्से से जुड़ सकते हैं। यही वह शक्ति है, जो हमें शांति और प्रेम की अनुभूति कराती है। ब्राजील से आये प्रेम बाबा ने कहा कि प्रेम ही है, जो जीवन को अर्थ देता है। प्रेम ही है, जो हमें एक दूसरे से जोड़ता है। जब हम अपने दिल की गहराई में प्रेम का अनुभव करते हैं, तब हम न केवल अपने अस्तित्व को समझते हैं। बल्कि सम्पूर्ण संसार को भी एक नई दृष्टि से देखते हैं। प्रसिद्ध योगाचार्य योगऋषि विश्वकेतु ने कहा कि प्रकृति के साथ योग का सामंजस्य हमें शांति, सौम्यता और जीवन की सच्ची खुशी की ओर ले जाता है।
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