देहरादून(आरएनएस)। आर्टिफिशियल इण्टैलिजेंस, सेंसर, डिजिटल, संचार प्रौद्योगिकी व अन्य तकनीकों को एक दूसरे से जोड़कर नेटवर्क सोसायटी का निर्माण किया जा रहा है। एम्बेडिड सिस्टम पर आधारित उपकरण रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने कार्य कर रहे हैं, इन उपकरणों में जरूरत के हिसाब से बदलाव करके सैन्य क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। ये बात डीआरडीओ के प्रौद्योगिकी प्रबंधन के महानिदेशक एलसी मंगल ने शुक्रवार को ग्राफिक एरा विवि में नई तकनीकों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कही। उन्होंने ये भी बताया कि सेंसर, तकनीकी कार्य व संचार को एक चिप में एकीकृत करके विभिन्न प्रयोग किए जा रहे हैं। कार्यशाला में डिवाइस इण्टेलिजेंस, कम्प्यूटिंग व संचार की नई तकनीकों पर विचार विमर्श हुआ। विवि के कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि लगभग सभी उपकरणों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जा रहा है। यह चिकित्सा क्षेत्र में एआई संचालित एक्स-रे, इन्सुलिन, शरीर की गतिविधियों को मापने वाली मशीन, स्वचालित वाहन, थ्री-डी प्रिंटिग से बने प्रोस्थैटिक अंग, स्मार्ट घर, यातायात प्रणाली के प्रबन्धन जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
भौतिकी विज्ञानी प्रो. आरके सिन्हा ने कहा कि आप्टिकल फाइबर के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देकर विभिन्न समस्याओं का समाधन निकाला जा सकेगा। उन्होंने जीरो इन्डैक्स मेटामटिरियल्स पर अपना शोधकार्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि मेटामटिरियल्स के एमयू व एस्पीलोन में बदलाव करने से उनका रिफरेक्टिव इन्डैक्स भी बदला जा सकता है। सम्मेलन में आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर मानव के. भटनागर ने 5-जी तकनीकों, आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर एम. जलीर अख्तर ने सस्टेनेबल इंजीनियरिंग की चुनौतियों, आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर सुदेब दास गुप्ता ने क्रायो-सीएमओएस पर विस्तार से जानकरी साझा की।
एआई और आईटी को जोड़कर तैयार की जा रही नेटवर्क सोसाइटी
