अल्मोड़ा। कुमाऊं मंडल की पुरानी बाज़ारों में से एक तथा पटालों के लिए प्रसिद्ध अल्मोड़ा की बाजार अपना स्वरूप खोती जा रही है। अतिक्रमण के चलते बाजार का असली स्वरूप गुम हो गया है। मिलन चौक से लेकर कचहरी बाजार तक पूरी बाजार अतिक्रमण की गिरफ्त में है। यहाँ अब लोगों को चलने को भी जगह नहीं मिलती है। पालिकाध्यक्ष का कहना था कि बाजार से अतिक्रमण हटाया जाएगा लेकिन उनके पांच साल पूरे हो गए लेकिन अतिक्रमण जस का तस रहा। कभी बाजार में कोई अनहोनी हो गई तो आपातकाल में बाजार में फायर ब्रिगेड की गाड़ी के घुसने को भी जगह नहीं है। पालिका साल में एक दो बार चालान कर इतिश्री कर लेती है। अल्मोड़ा की पटाल बाजार अपने में ऐतिहासिक बाजार है जिसे देखने दूर दूर से पर्यटक अल्मोड़ा आते हैं। यहाँ पर्यटकों को देखने के लिए बाजार तो छोड़िए खड़े होने को जगह मिल जाए वह बड़ी चीज़ है। बाजार में बुजुर्गों, बच्चों को चलने में दिक्कत होती है। कहीं खड़े हो भी जाएं तो यही अतिक्रमण किए फड़ खोखे वाले आपको आगे से हटने को बोलने लगते हैं। अतिक्रमण हटाना तो दूर उल्टा पालिका इनसे तहबाजारी वसूलती है। दुकानों में जगह होने के बावजूद दुकानदार सामान बाहर फैलाए रहते हैं। तंग बाजार में भी दुकानों के आगे फल सब्जी के फड़ लगे हुए हैं। पूर्व में पालिका ने पट्टी लगाकर फड़ वालों को पट्टी से पीछे दुकान लगाने के निर्देश दिए थे लेकिन ना पट्टी दिखती है और ना नियम को मानने वाला।
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