सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान, अल्मोड़ा में हुआ एकदिवसीय आयोजन
अल्मोड़ा, 09 जुलाई 2025 — सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान, अल्मोड़ा के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा विश्व जूनोसिस दिवस के अवसर पर एकदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संस्थान के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) चंद्र प्रकाश भैसोड़ा एवं के निर्देशन में “नेशनल वन हेल्थ फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ जूनोसिस” (NOHPPCZ) के तहत संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के अंतर्गत एक स्टेकहोल्डर मीटिंग आयोजित की गई, जिसका संचालन डॉ. विक्रांत नेगी (नोडल अधिकारी, NOHPPCZ एवं असिस्टेंट प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी) द्वारा किया गया। इस बैठक में अल्मोड़ा एवं बागेश्वर जनपद के चिकित्सा अधिकारी, IDSP माइक्रोबायोलॉजिस्ट, और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारीगण सम्मिलित हुए।
बैठक के दौरान जूनोसिस रोगों की रोकथाम, निगरानी प्रणाली और बहु-क्षेत्रीय सहयोग पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया, जिससे विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को बढ़ावा मिले और जनस्वास्थ्य के लिए बेहतर रणनीतियाँ विकसित की जा सकें।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में विद्यालयी एवं पेरामेडिकल छात्रों के लिए स्लोगन लेखन एवं पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। छात्रों ने जूनोसिस रोगों की रोकथाम, जागरूकता और पशुजन्य रोगों के प्रति सतर्कता जैसे विषयों पर रचनात्मक प्रस्तुतियाँ दीं। इस प्रतियोगिता में Springdale School, विवेकानंद बालिका विद्या मंदिर जीवनधाम और पेरामेडिकल विभाग के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
इसी क्रम में, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका संचालन सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मसरूफ हसन खान के निर्देशन में किया गया। इसमें छात्रों को पशुजन्य रोगों की जानकारी दी गई और इनसे बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) चंद्र प्रकाश भैसोड़ा, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराधा, डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. आशीष जैन, डॉ. अंशुल ममगाई, डॉ. संजय गौर, डॉ. महेंद्र कुमार पंत, डॉ. हेमंत दत्त बेलवाल, डॉ. संदीप डबराल, डॉ. रवि सैनी, डॉ. अभिषेक (IDSP) एवं डॉ. अनिल पांडे भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनमानस को जूनोसिस रोगों के प्रति जागरूक करना और स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना रहा।
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