रुद्रप्रयाग(आरएनएस)। केदारनाथ धाम में हो रही बर्फबारी के बाद अब लोनिवि डीडीएमए के मजदूर वापस लौटने लगे हैं। हालांकि डीडीएमए 10 जनवरी तक केदारनाथ में अपना काम जारी रखेगा, किंतु इसके बाद अधिक बर्फबारी होने के चलते काम न होने की स्थिति में मजदूर वापस लौट जाएंगे। फिलहाल 25 मजदूर हाल ही में हुई बर्फबारी के चलते वापस लौट गए हैं। बता दें कि केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने से लगातार लोनिवि डीडीएमए के 100 से अधिक मजदूर केदारनाथ में पुनर्निर्माण और अन्य निर्माण कार्य में जुटे हैं। विषम परिस्थिति में भी लगातार निर्माण कार्यों को किया जा रहा है। बीते दो दिनों से केदारनाथ में जोरदार बर्फबारी के चलते धाम में दो फीट से अधिक बर्फ जमा हो गई है। ऐसे में डीडीएमए के 25 मजदूर वापस लौट गए हैं। जबकि 75 मजदूर अब भी केदारनाथ में काम कर रहे हैं। हालांकि बर्फबारी होने से केदारनाथ में कार्य करना काफी मुश्किल हो जाता है इसी कारण मजदूर लगातार वापस लौट जाते हैं। लोनिवि डीडीएमए के अधिशासी अभियंता विनय झिंक्वाण ने बताया कि दो दिनों की बर्फबारी से विभाग के 25 मजदूर वापस लौट गए हैं जबकि 75 धाम में लगातार कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि 10 जनवरी तक केदारनाथ में लकड़ी और टायल के साथ ही जो कार्य संभव हो सके, उन्हें किया जाएगा। इसके बाद अधिक बर्फबारी के चलते मजदूर वापस लौट आएंगे।
वुड स्टोन के मजदूर जनवरी पूरे महीने रहेंगे केदारनाथ
केदारनाथ में लोनिवि डीडीएमए के अलावा वुड स्टोन द्वारा भी पुनर्निर्माण कार्य किया जा रहा है। वुड स्टोन के केदारनाथ प्रभारी सोबन सिंह बिष्ट ने बताया कि वुड स्टोन जनवरी पूरे माह केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य करने का प्रयास करेंगे। जब अत्यधिक बर्फबारी होगी तभी वापस लौटने का विचार किया जाएगा। बर्फबारी के बाद ऐसे कार्य किए जा रहे हैं, जो अंदर के हैं और संभव है।
अल्मोड़ा। कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित कुमाऊं महोत्सव 2025 का चौथा दिन मंगलवार को रंगारंग…
अल्मोड़ा। पंचायत चुनावों की सरगर्मियों के बीच जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो…
अल्मोड़ा। धौलादेवी ब्लॉक के तलचौंना गांव में मंगलवार को भाजपा को एक बड़ा झटका देते…
अल्मोड़ा। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अल्मोड़ा के पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय में टोटल…
अल्मोड़ा। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने मंगलवार को नगर क्षेत्र में चल रहे नालों के…
This website uses cookies.