चले आओ मेरे उत्‍तराखण्‍ड में, ये पहाड़ बुलाते हैं………..

देहरादून। कोरोना संक्रमण के मामलों में  गिरावट के बाद और सरकार की ओर से जारी गयी नयी गाईडलाईन के बाद अब नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड की तरफ सैलानियों ने रुख करना शुरू कर दिया है। मसूरी, नैनीताल समेत अन्य पर्यटक स्थलों में वीकेंड में पर्यटकों की उमड़ती भीड़ इसकी तस्दीक करती है। जाहिर है कि आने वाले दिनों में परिस्थिति सामान्य होने पर सैलानियों का आंकड़ा बढ़ेगा। लिहाजा, ऐसे कदम उठाने की दरकार है, जिससे कोविड का प्रसार भी न हो और पर्यटन गतिविधियां भी चलती रहीं। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में प्रतिदिन 3.12 लाख पर्यटकों के लिए ही रहने की सुविधा उपलब्ध है। बदली परस्थितियों में इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।
समग्र रूप में देखें तो उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग की यहां की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका है। सामान्य परिस्थितियों में वर्षभर में राज्य में करीब साढ़े तीन करोड़ सैलानी पहुंचते हैं। इनमें 45 फीसद से अधिक संख्या चारधाम के साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों में दर्शन के लिए आने वाले यात्रियों की होती है। शेष लोग देश के विभिन्न हिस्सों से प्रकृति के नजारों का लुत्फ उठाने के लिए उत्तराखंड की वादियों में पहुंचते हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि यहां की आर्थिकी में पर्यटन का कितना बड़ा योगदान है।

हालांकि, कोरोना की दस्तक के बाद पिछले साल से परिस्थितियां बदली हैं, जिसका असर यहां के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ा है। पिछले साल भी पर्यटन व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अब परिस्थितियां फिर से पिछले साल जैसी हो गई हैं। यद्यपि, अब कोरोना संक्रमण के मामले घटने लगे हैं। इसके साथ ही सैलानियों ने उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों की राह पकड़नी शुरू कर दी है।
जाहिर है कि कोविड की गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित कराने की चुनौती अधिक बढ़ गई है। इस लिहाज से आवासीय समेत अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी की दरकार है।  समाचार   एजेंसी आरएनएस को मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 6748 निजी होटल, लाज व होम स्टे में 176430 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है। इसी तरह 863 धर्मशाला, गुरुद्वारा, आश्रम आदि में आवासीय क्षमता 125624 व्यक्तियों की है। पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह, रैन बसेरे, जनता यात्री निवास की संख्या 208 है, जिनमें 7709 लोग एक दिन में ठहर सकते हैं।
पर्यटन विभाग के अतिरिक्त अन्य सरकारी विभागों के रेस्ट व गेस्ट हाउसों की संख्या 361 है, जिनमें 2243 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है। कहने का आशय ये कि अब जबकि कोविड की गाइडलाइन का अनिवार्य रूप से पालन होना है तो इसके मद्देनजर पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधाएं बढ़ानी होगी। फिर आवासीय सुविधा के हिसाब से ही पर्यटक स्थलों में पर्यटकों को भेजा जाना चाहिए। हालांकि, सरकार की ओर से इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।

Harish Tripathi

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