देहरादून। गर्मियों की छुट्टियां 27 मई की जगह दो जून से किए जाने से शिक्षकों में भारी आक्रोश है। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसे एक तरफा निर्णय बताते हुए इसका विरोध किया है।
संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत ने कहा कि अगर सरकार को अवकाश एक सप्ताह पीछे करने का निर्णय लेना ही था तो इसमें कम से कम शिक्षकों की राय ली जाती। उन्होनें मांग की कि अवकाश को सात दिन के बजाए कम से कम 15 दिन ही कर दिया जाए। ताकि इसके बदले उन्हें उपार्जित अवकाश मिल सके। क्योंकि 15 दिन से कम में उपार्जित अवकाश भी नहीं मिल पाएगा। उन्होनें अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे लगातार शिक्षा मंत्री को गुमराह करते रहे और अवकाश सात दिन पीछे कर दिया। इसके पीछे उपार्जित अवकाश ना देने की भी मंशा दिख रही है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन अवकाश शिक्षकों के आराम या सहूलियत के लिये नहीं वरन छात्रहित में दिया जाने वाला घोषित अवकाश है। जिससे शिक्षकों को किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं होता है। फिर भी यदि अतिआवश्यक हो तब सरकार अवकाश अवधि के बढ़ने की स्थिति में पंद्रह दिन के स्थान पर पूरे माह अवकाश अवधि में विद्यालय खोलें। उसके बदले अन्य विभागों की तरह उपार्जित अवकाश दिए जाएं।
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