रुड़की (आरएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने नॉर्वे के राजदूत महामहिम श्री हंस जैकब फ्रीडेनलंड के साथ नॉर्वेजियन दूतावास और नॉर्वेजियन जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट (NGI) के एक प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की। नॉर्वेजियन डेलीगेशन और आईआईटी रुड़की के निदेशक, डीन, एवं फैकल्टी सदस्यों के समूह के बीच एक बोर्डरूम बैठक आयोजित की गई थी।
इस बैठक में आईआईटी रुड़की और नॉर्वे के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों के साथ ही नॉर्वे के राजदूत और आईआईटी रुड़की के निदेशक भी उपस्थित थे। इनमें स्पॉन्सर्ड रिसर्च और इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी के डीन; रिसोर्सेज और एलुमनाई अफेयर्स के डीन; प्रो एम के सिंघल, हेड-हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी; प्रो. महेंद्र सिंह, प्रो. एन के समाधिया, सिविल इंजीनियरिंग से प्रो. प्रीति माहेश्वरी; अर्थक्वेक इंजीनियरिंग से प्रो. योगेंद्र सिंह, बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग से प्रो. रंजना पठानिया; गणित विभाग से प्रो. अमेय नायक; नॉर्वेजियन जियो-टेक्निकल इंस्टिट्यूट एशिया के रीजनल मैनेजर डॉ. राजिंदर कुमार भसीन; नॉर्वे दूतावास की कोऑपरेशन काउंसलर सुश्री मैरिट मैरी स्ट्रैंड शामिल थीं।
आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के बीच लंबे समय से रिसर्च कोलैबोरेशन चलता रहा है। आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के शोधकर्ताओं ने पिछले 10 सालों में साथ मिलकर करीब 80 से ज्यादा शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं। आईआईटी रुड़की, नॉर्वेजियन एजेंसियों, नॉर्वेजियन सिस्मिक एरे (NORSAR), NGI, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ट्रोम्सो आदि के बीच पहले से ही कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं; जैसे भारतीय उपमहाद्वीप पर भूकंप के खतरे और रिस्क रिडक्शन, भारत और नॉर्वे के बीच संस्थागत सहयोग के साथ हिमालय में भूकंप के जोखिम में कमी, NORSAR और NGI, नॉर्वे के बीच भूकंप इंजीनियरिंग पर भारत-नार्वेजियन संस्थागत सहयोग, आईआईटी रुड़की और यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रोम्सो, नॉर्वे के बीच ICARBA परियोजना।
ये पूर्व में किए गए और फ़िलहाल जारी प्रोजेक्ट्स आईआईटी रुड़की और नॉर्वे के बीच मजबूत रिसर्च कोलैबोरेशन की गवाही देती हैं। इसके अलावा, बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के बीच मौजूदा सहयोग का लाभ रिसर्च पार्टनरशिप के नए क्षेत्रों का पता लगाने के लिए उठाया जा सकता है।
बैठक को संबोधित करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. ए.के. चतुर्वेदी “नॉर्वे और आईआईटी रुड़की के शोधकर्ता लंबे समय से कई परियोजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं। आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के बीच अधिक संयुक्त गतिविधियों को शुरू करने के लिए इन सहयोगों का लाभ उठाया जाना चाहिए। वे स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम्स, इन्टर्नशिप्स, फैकल्टी विजिट्स आदि के रूप में हो सकते हैं। नॉर्वेजियन और भारतीय उद्योगों को एक साथ काम करने के अवसर तलाशने चाहिए।
साथ ही, पहले से सहयोग करने वाले विभागों के अलावा अन्य विभागों के फैकल्टी मेंबर्स को इस लंबे और उपयोगी सहयोग के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।” आतिथ्य और एक बहुत ही उत्पादक चर्चा के लिए निदेशक और फैकल्टी मेंबर्स को धन्यवाद देते हुए, भारत में नॉर्वे के राजदूत, महामहिम श्री हंस जैकब फ्राइडेनलंड ने कहा, “आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के बीच चल रहा सहयोग एक मजबूत रिश्ते को बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसके अलावा, ऊर्जा, पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा ऐसे क्षेत्र हैं जहां आईआईटी रुड़की और नॉर्वेजियन संस्थानों के शोधकर्ता रॉक साइंस और टनलिंग टेक्नोलॉजी के अलावा सहयोग कर सकते हैं। नॉर्वेजियन सरकार के जनादेश के अनुसार कम से कम 50% छात्रों को अपनी पढाई के दौरान एक विदेशी संस्थान के साथ काम करना चाहिए।
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