नई टिहरी(आरएनएस)। वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी में मसाले की फसल उद्यमिता विकास पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें वक्ताओं ने पर्वतीय क्षेत्रों की जलवायु को मसाला की फसलों के लिए बहुत बेहतर है। कहा कि किसान मसाले की खेती को व्यवसाय की दृष्टि से भी देखे। वित्त पोषित संस्था मसाला एवं सुपारी की ओर से रानीचौरी वानिकी महाविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में प्रो़ जेसी कुनियाल ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए जैविक खेती की जरूरत है। प्रो़ टीएस मेहरा ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों की जलवायु मसाला की खेती के लिए काफी अच्छी है। कई मसाले ऐसे हैं, जिनमें भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। हल्दी बहुत गुणकारी होती है। कहा कि पहाड़ में होने वाले टिमरू के पौधे का उपयोग टूथपेस्ट में किया जा सकता है। प्रो़ अरविंद बिजल्वाण ने कहा कि किसान मसाले की खेती को व्यवसाय की दृष्टि से भी देखे। अधिक उत्पादन और गुणवत्ता के लिए अच्छे बीजों का चयन जरूरी है। प्रो़ एमएस यादव ने बीजों के अंकुरण की समस्या के बारे में किसानों को जानकारी दी। डॉ़ लक्ष्मी रावत ने पर्वतीय क्षेत्रों में अदरक की खेती के बारे में बताा। हर्ष डोभाल ने बड़ी इलाइची की खेती,डॉ़ पंकज कुमार ने लहसुन,डॉ़ एचके बगवाड़ी ने फसलों के विपणन की जानकारी दी। इस मौके पर डॉ़ तौफिक अहमद,डॉ़ बीएस बुटोला आदि मौजूद थे।
पर्वतीय क्षेत्र की जलवायु मसाला फसलों के लिए बेहतर
