देहरादून(आरएनएस)। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कॉर्डियोलॉजी विभाग में एक 65 वर्षीय महिला मरीज़ के पैर और फेफड़ों के खून के थक्के के इलाज के लिए पेनुम्ब्रा अत्याधुनिक तकनीक (लाइटनिंग फ्लैश) का उपयोग कर इलाज किया गया। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) प्रोसीजर के द्वारा महिला के पांव की नसों से थ्रॉम्बोसिस निकाला गया। प्रोसीजर के बाद महिला स्वस्थ है और उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है। महिला को पैरों में भारी सूजन और असहनीय दर्द की शिकायत थी। पैर और फेफड़ों में खून के थक्के (क्लॉट) होने की वजह से उनका चलना फिरना मुश्किल हो गया था। प्रमुख इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट एवं कैथ लैब डायरेक्टर डॉ. तनुज भाटिया ने अमेरिका और यूरोप के कई देशों में उपयोग हो रही नवीनतम मिनिमली इनवेसिव तकनीक लाइटनिंग फ्लैश कैथेटर का उपयोग किया। उधर, कॉर्डियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ एवं ताइवान के मेडिकल पैनलिस्ट शनिवार को परिचर्चा के लिए जुड़े। डॉ. तनुज भाटिया ने समन्वयक की भूमिका निभाई। लाइव परिचर्चा में थ्रोम्बोसिस के कारण, लक्ष्ण, परिणामों और अल्टा मार्डन उपचार तकनीकों पर विशेषज्ञों ने महत्वपूर्णं जानकारियां सांझा की। इस दौरान डॉ. अभिषेक मित्तल , डॉ. मंयक अग्रवाल, डॉ. क्रिस्टोफर गैरंगर, डॉ.पॉल लिंम चुन यी, डॉ. मोहम्मद नर्जरुल्लीशिम मद नसेर, डॉ. यूंग चैन वैंग, एमएस डॉ. गौरव रतूड़ी, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. पंकज अरोड़ा, वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश रावत, एनेस्थैटिस्ट डा. आशुतोष आदि मौजूद रहे।
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