देहरादून(आरएनएस)। सहकारिता चुनाव को लेकर कांग्रेस में खामोशी है। दूसरी ओर भाजपा के भीतर घमासान की स्थिति है। भाजपा का एक गुट लगातार चुनाव को दबाव बनाए हुए हैं। दूसरे गुट को मौजूदा नियमों, व्यवस्था में चुनाव से परहेज है। दोनों गुट अलग अलग दिशाओं में दबाव बनाए हुए हैं। सहकारिता चुनाव के पहले चरण में प्राथमिक स्तर की बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में चुनाव शुरू किए गए थे। इसके बाद जिला स्तरीय समितियों के चुनाव होने थे। पहले ही दिन से भाजपा का एक गुट चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के साथ नियम 12 बी के प्रावधानों का विरोध कर रहा था। जिसमें तीन साल में सहकारी समितियों में लेनदेन न करने वालों को भी वोटिंग का अधिकार देने का निर्णय कैबिनेट ने किया था। इस नए नियम से सहकारिता के कई बड़े नेताओं की सियासत पर संकट गहरा गया था। इस गुट ने चुनाव रोकने को कोर्ट में अपनी ही सरकार को घेरा। इन उठापठक में हाईकोर्ट से चुनाव पर रोक का निर्णय हुआ। हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस की बजाय भाजपा के भीतर से ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पूरे मामले में कांग्रेस पूरी तरह किनारे खड़े होकर तमाशा देखने की स्थिति में है। कांग्रेस की ओर से इस मसले पर न जल्द चुनाव कराने को दबाव बनाया जा रहा है और न ही चुनाव स्थगित करने को दबाव बनाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी शासन के न्याय विभाग को दे दी गई है। न्याय विभाग के साथ ही शासन स्तर से स्पष्ट दिशा निर्देश प्राप्त होते ही उसी अनुरूप कदम उठाया जाएगा। – हंसादत्त पांडेय, अध्यक्ष सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण
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