सेवा का अधिकार आयोग में आयुक्त की नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य खफा, बताई यह वजह

देहरादून। सेवा का अधिकार आयोग में नए आयुक्त की नियुक्ति में अपनी राय की अनदेखी से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सरकार से खफा हैं। बकौल आर्य, इस मामले से साबित हो रहा है कि उत्तराखंड में नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। जो नौकरशाही के अधिकार क्षेत्र में नहीं भी है वो फैसले भी उनके द्वारा लिए जा रहें हैं।
लगता है सरकार की सारी शक्तियां नौकरशाहों ने अपने हाथों में ले ली है। इन शक्तियों का प्रयोग वो रिटायर हो रहे नौकरशाहों के हित साधने के लिए करते हैं। मामला रिटायर आईएएस भूपाल सिंह मनराल की नियुक्ति से जुड़ा है। आर्य का कहना है कि सेवा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आयोग के मुख्य आयुक्त और आयुक्तों की नियुक्ति करने से पहले राज्य सरकार को नेता प्रतिपक्ष से सलाह लेना भी अनिवार्य है।

लेकिन इस मामले में सरकार ने मनमानी की। 27 जून को कार्मिक सचिव एक पत्र भेजकर कहा कि आयुक्त पद पर मनराल की चयन प्रक्रिया गतिमान है अतः परामर्श भेजें। आर्य के अनुसार, पत्र के साथ न कोई पैनल भेजा , न ही नियुक्त होने वाले व्यक्ति का बायोडाटा, सेवारिकार्ड, गोपनीय जांच रिकार्ड या उसकी योग्यता भेजी। भला बिना किसी रिकार्ड के कैसे कोई  सलाह दे सकता है?
इस पत्र के कुछ दिनों बाद पता चला कि नेता प्रतिपक्ष का परामर्श लिए बिना ही मनराल की नियुक्ति कर दी गई। आर्य का कहना है कि वो किसी व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन लोकतंत्र में मान्य परम्पराओं से हटना उचित नहीं माना जा सकता है। इससे साफ हो चुका है कि प्रदेश की नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है।

आर्य ने सरकार को सलाह दी कि, उसे यदि ऐसे निर्णय लेने हैं तो नेता प्रतिपक्ष को इन निर्णयों से दूर रखने के लिए कानून में संशोधन करना चाहिए।  इन संशोधनों को करने के लिए उसके पास पूरा बहुमत है। लेकिन उनके सहित कोई भी लोकतांत्रिक व्यक्ति शासन को सरकार नहीं मानेगा। जनता द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग भी सीएम, कैबिनेट और सरकार को ही करना चाहिए।

आर्य ने रिटायर अफसरों की निष्पक्षता पर भी उठाया सवाल
आर्य ने कहा कि सेवा का अधिकार आयोग राज्य के विभागों के विरुद्ध शिकायतें सुनता है। वर्तमान में मुख्य आयुक्त के रूप में एक पूर्व नौकरशाह और आयुक्त के रूप में पूर्व पुलिस अधिकारी नियुक्त हैं। जीवन भर सरकारी सेवा कर चुका व्यक्ति अपने ही पूर्व विभागों की अर्कमण्यता की शिकायतों को सुनकर सही निर्णय देगा ? इसलिए ऐसे आयोग में न्यायिक सेवा, पत्रकारिता, समाजसेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाओं से संबधित व्यक्ति भी आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।

सेवा का अधिकार आयोग में नियुक्ति के लिए नियमानुसार नेता प्रतिपक्ष से उनका परामर्श मांगा गया था। इस बाबत उन्हें पत्र भी भेजा गया था।
शैलेश बगौली, सचिव-कार्मिक

Harish Tripathi

Recent Posts

कुमाऊं महोत्सव: माया उपाध्याय की प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

अल्मोड़ा। कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित कुमाऊं महोत्सव 2025 का चौथा दिन मंगलवार को रंगारंग…

1 day ago

भाजपा को एक और झटका, गोपाल सिंह बिष्ट सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल

अल्मोड़ा। पंचायत चुनावों की सरगर्मियों के बीच जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो…

1 day ago

जिलाधिकारी ने ली नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों की बैठकअल्मोड़ा। अगस्त 2026 में प्रस्तावित…

1 day ago

भाजपा छोड़ सुरेश भट्ट कांग्रेस में हुए शामिल

अल्मोड़ा। धौलादेवी ब्लॉक के तलचौंना गांव में मंगलवार को भाजपा को एक बड़ा झटका देते…

1 day ago

जिला अस्पताल में शुरू हुई टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी

अल्मोड़ा। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अल्मोड़ा के पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय में टोटल…

1 day ago

नगर क्षेत्र में नालों के निर्माण कार्यों की जिलाधिकारी ने की समीक्षा

अल्मोड़ा। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने मंगलवार को नगर क्षेत्र में चल रहे नालों के…

2 days ago

This website uses cookies.