नई टिहरी : कृषि विज्ञान केन्द्र रानीचौरी में बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी को सम्मानित किया गया। इस मौके पर आत्मा परियोजना के तहत कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
इस मौके पर सम्मानित हुये जड़धारी ने अपने चिपको आंदोलन में कार्यकर्ता के तौर सक्रीय सहभागिता और बीज बचाओ आंदोलन की किस तरह शुरआत हुई, इसे लेकर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने किसानों से आत्मनिर्भर बनने की अपील करते हुये कहा कि रासायनिक खादों व दवाओं से बचने का प्रयास करें।
संवाद कार्यक्रम में कहा कि मिट्टी में लाखों जीवाणु होते हैं। जिससे फसल को पोषण मिलता है। जंगल में कोई खाद नही डालता है। फिर भी उसमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष उग जाते है। प्रकृति खुद अपना काम करती रहती है। हम कहते हैं धरती बंजर हो गयी। धरती कभी बंजर नही हो सकती है।
हरित क्रांति के द्वारा उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाना उस समय की आवश्यकता थी। आज हमें पौष्टिक अनाजों के बीजों का संरक्षण, संवर्धन और मार्केटिंग की आवश्यकता है। इस मौके पर डा अरविंद विजल्वाण ने बताया कि पारंपरिक खेती की विधा को बनाये रखने की जरूरत है।
डा. अमोल वशिष्ठ ने पूर्व पीएम स्व चौधरी चरण सिंह के किसानों के लिए किए कार्यों की चर्चा की। प्रो खण्डुड़ी ने जंगली फलों जैसे काफल, हिसालू साथ ही जख्या, कंडाली, लीगरु, घिंगारू आदि के महत्व सम्बद्ध में बताया। इस मौके पर डा आलोक, डा शिखा, डा अजय कुमार, कीर्ति कुमारी सहित किसानों में दिलपाल नेगी, रीता देवी, विमल देवी, नीलिमा देवी सहित दर्जनों मौजूद रहे।
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