उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में नियमों को ताक पर रखकर हो रहे तबादले

देहरादून। उत्तराखंड में जिस तरह सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर शिक्षकों के तबादले किए गए हैं इससे तो यही लगता है यहाँ सभी अधिकारी और मंत्री के चहेतों ने मनमाफिक तबादले कराए। जी हाँ यह बात हम नहीं प्रदेश की जनता बोल रही है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में धामी सरकार के कुछ मंत्री और अधिकारी मिलकर अपने चहेतों के तबादले कर रहे हैं। जिन शिक्षकों के तबादले होने हैं वह आज भी वहीं पर तैनात है जहाँ पर पहले थे। उत्तराखंड में हो रहे शिक्षकों की बंपर तबादलों में जो मानकों को तार-तार किया गया है वह कभी नहीं हुआ है। तबादला जिन मांगों के आधार पर होना चाहिए वह अधिकारी और कुछ मंत्रियों की सांठगांठ के चलते नहीं हो पाए। आपको बता दें कि फर्जी मेडिकल के आधार पर भी भारी मात्रा में तबादले हुए हैं। जो शिक्षक हकीकत में परेशान है वह आज भी वहीं का वहीं है जबकि उसके द्वारा कहीं कहीं बाहर तबादले को लेकर अपनी परेशानियां अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक रखी गई लेकिन फिर भी उनके तबादले नहीं हो पाए। इन फर्जी मेडिकलों की यदि कोई समिति बनाकर जांच करा ली जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। इन फर्जी मेडिकल के आधार पर ही अपने चहेतों को अधिकारियों और कुछ मंत्रियों ने तबादले आसानी से कर दिए हैं। आज भी जो शिक्षक सुगम में है वह सुगम में ही है और जो दुर्गम में है वह दुर्गम में ही है। जबकि नियम यह कहते हैं कि सुगम वाला दुर्गम में जाएगा और दुर्गम वाला सुगम में आएगा लेकिन ऐसा कुछ भी उत्तराखंड में होता नहीं दिखाई दिया। इतना ही नहीं कुछ मंत्रियों ने तो शिक्षकों को विभागीय कार्यालय में अटैच कर रखा है। विभागों में शिक्षकों के सम्बद्ध रहने से यह लोग मिलीभगत कर अपने तबादले को आसानी से करा पाने में कामयाब रहते हैं और जो शिक्षक हकीकत में तबादले का हकदार है उसे तबादले के लिए मंत्रियों के चक्कर और अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। असली बीमार शिक्षक को तबादला कराने के लिए और अधिक बीमार होना पड़ रहा है जबकि सांठगांठ करने वाले शिक्षक आसानी से तबादला करा पाने में कामयाब हो रहे हैं। शिक्षकों का यह तबादला उत्तराखंड में पूरा चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि क्या इस और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ध्यान जाता है और अगर जाता है तो वह इस और क्या कदम उठा पाते हैं। यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा।

Harish Tripathi

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