विकासनगर(आरएनएस)। विकासनगर अस्पताल को पांच साल पूर्व उच्चीकृत कर उप जिला चिकित्सालय में तब्दील किया गया था, तब यहां स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधन बढ़ने की उम्मीद जगी थी, लेकिन वर्तमान में यहां एक अतिरिक्त बेड तक नहीं बढ़ पाया है। आज भी अस्पताल के इंडोर वार्ड में मात्र तीस बेड की ही सुविधा है। जबकि, उप जिला चिकित्सालय के लिए पचास बेड स्वीकृत हैं। विकासनगर स्थित सरकारी अस्पताल पछुवादून और जौनसार-बावर के साथ ही टिहरी के जौनपुर, थत्यूड़ ब्लॉक, उत्तरकाशी के नौगांव, पुरोला, मोरी ब्लॉक, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले और उत्तर प्रदेश की बेहट तहसील के सीमांत गांवों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है। यहां हर दिन 600 से अधिक की ओपीडी संचालित होती है। अस्पताल पर मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुए पांच साल पहले इस अस्पताल को उप जिला चिकित्सालय में तब्दील किया गया था, लेकिन उच्चीकृत होने के बाद भी अस्पताल में संसधान नहीं बढ़ाए गए हैं। अलबत्ता अस्पताल के परिसर में चल रहे ट्रॉमा सेंटर को जरूर बंद कर दिया गया। आलम यह है कि अभी तक अस्पताल के इंडोर वार्ड में मात्र तीस बेड की ही सुविधा है। भीषण गर्मी के मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन बेड की कमी के कारण डायरिया के मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाकर वापस भेजना पड़ता है। गंभीर मरीजों को हायर सेंटर के लिए रेफर करना भी मजबूरी बन गई है। डायरिया जैसी बीमारी के उपचार के लिए अस्पताल में सभी संसाधन मौजूद हैं, लेकिन जगह की कमी के कारण मरीजों को भर्ती करना मुश्किल हो जाता है।
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