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शिक्षक संघ का सरकार पर संवादहीनता का आरोप, गैर शैक्षणिक कार्यों के बहिष्कार की घोषणा


अल्मोड़ा। राजकीय शिक्षक संघ ने सरकार पर संवादहीनता का आरोप लगाते हुए कहा है कि लोकतंत्र में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन सरकार जायज मांगों को पूरा करने और संगठन से संवाद स्थापित करने के बजाय प्रायोजित जनहित याचिकाओं के माध्यम से आंदोलनों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। जिला अध्यक्ष भूपाल सिंह चिलवाल और जिला मंत्री राजू महरा ने संयुक्त बयान में कहा कि शिक्षक 18 अगस्त से अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार इस पर संवेदनशील नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति के संदर्भ में उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद शिक्षकों की वरिष्ठता का निर्धारण नहीं किया गया। इसके अलावा सरकार द्वारा बनाए गए स्थानांतरण अधिनियम का भी उल्लंघन करते हुए समयबद्ध स्थानांतरण नहीं किए जा रहे हैं। संघ के नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी प्रमुख मांगों में पदोन्नति, प्रधानाचार्य की विभागीय सीधी भर्ती का निरस्तीकरण और वार्षिक स्थानांतरण की समयबद्ध प्रक्रिया शामिल है। उन्होंने कहा कि छात्र हित को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों में शिक्षण कार्य सुचारू रूप से जारी रहेगा, लेकिन शिक्षक अब किसी भी गैर शैक्षणिक कार्य में भाग नहीं लेंगे। साथ ही, एक सितंबर से देहरादून स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जनपदवार धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। संघ ने यह भी कहा कि नई शिक्षा सत्र की शुरुआत अप्रैल में होने के बावजूद अब तक सभी विषयों की पुस्तकें विद्यार्थियों तक नहीं पहुंची हैं, जबकि विभाग द्वारा लगातार विद्यालयों पर अतिरिक्त कार्यक्रम थोपे जा रहे हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही क्लस्टर विद्यालय योजना को भी उन्होंने शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया और कहा कि इस योजना से बच्चों को रोजाना 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, जिसका सबसे बड़ा नुकसान बालिका शिक्षा को होगा और इससे विद्यालयों में बालिकाओं की संख्या में कमी आ सकती है। संघ का कहना है कि इन सभी मुद्दों को बार-बार ज्ञापनों, पत्रों और गोष्ठियों के माध्यम से विभाग के सामने रखा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। अब शिक्षक केवल शैक्षणिक कार्य करेंगे और सभी गैर शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार करेंगे।

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