अल्मोड़ा। जिला बार एसोसिएशन अल्मोड़ा ने भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता अधिनियम संशोधन विधेयक 2025 व उत्तराखण्ड सरकार द्वारा विवाह पंजीकरण, वसीयत पंजीकरण को यूसीसी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन करने और उसकी प्रक्रिया को जटिल बना देने, साथ ही इसमें अधिवक्ताओं की भागीदारी समाप्त करने के विरोध में जिला न्यायालय अल्मोड़ा व नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में सभा आयोजित की। इसके बाद जिला न्यायालय अल्मोड़ा से नवीन कलेक्ट्रेट परिसर तक आक्रोश रैली निकाली। इस दौरान अधिवक्ताओं ने नारेबाजी की और अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए प्रस्तावित अधिवक्ता अधिनियम संशोधन विधेयक 2025 को तत्काल वापस लेने की पुरजोर मांग की। अधिवक्ताओं ने कहा कि विवाह पंजीकरण, वसीयत व संपत्ति रजिस्ट्रेशन विधिक कार्य हैं और ये दस्तावेज विधिक दस्तावेज हैं, जिनमें अधिवक्ताओं की भूमिका को समाप्त करने से भविष्य में कई तरह की परेशानियां व विधिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। अतः इन सभी पंजीकरण प्रक्रियाओं में अधिवक्ताओं की भागीदारी और सक्रिय भूमिका सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके साथ ही अधिवक्ताओं ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन भूमि रजिस्ट्रेशन का भी विरोध किया और इस प्रस्ताव को अविलंब वापस लेने की मांग की। अधिवक्ताओं ने लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधान को उत्तराखंड की परंपरा व संस्कृति के खिलाफ बताते हुए इसे भी तुरंत वापस लेने की मांग की। अपनी मांगों को लेकर अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी के प्रतिनिधि, अपर जिलाधिकारी अल्मोड़ा के माध्यम से एक ज्ञापन कानून मंत्री, भारत सरकार व एक ज्ञापन मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड को प्रेषित किया।
अधिवक्ता अधिनियम संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में उतरा जिला बार एसोसिएशन अल्मोड़ा

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