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उत्तराखंड की आवाज

बदहाली से गुजर रहा गुलाबराय क्रीड़ा मैदान

रुद्रप्रयाग। कभी स्थानीय लोगों ने राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग को गुलाबराय मैदान की भूमि दान में देकर यह नहीं सोचा होगा कि यह मैदान आने वाले समय में बदहाली के दौर से गुजरेगा। यहां तक बच्चों को खेलने की भी यहां खुली आजादी नहीं मिलेगी, किंतु वर्तमान में मुख्यालय का एक मात्र क्रीड़ा मैदान ऐसी ही स्थिति से जूझ रहा है। स्थानीय लोगों के साथ ही खेल प्रेमियों द्वार बार-बार गुलाबराय मैदान के सौन्दर्यीकरण और इसे मिनी स्टेडियम के रूप में विकसित करने की लगातार मांग की जाती रही है किंतु शासन-प्रशासन ने इस मांग पर कभी भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया है और मैदान अपने अस्तित्व खोता जा रहा है। चारों ओर झांडियां उगी है तो मैदान के बीच में पानी के जगह-जगह तालाब बने हैं। मैदान में अनेक स्थानों पर रोड़ी और कंकरीट खेलते हुए कब शरीर को नुकसान पहुंचा दें और खिलाड़ी कब चोटिल हो जाए कहा नहीं जा सकता है। यही नही नगर में वाहनों के अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए पार्किंग तो विकसित नहीं कि पर, मैदान में वाहनों की पार्किंग तैयार करते हुए बच्चों की खेलने की आजादी भी छीन ली है। खेलते हुए यदि किसी वाहन का सीसा टूट जाए, बच्चों को इस बार का डर बना रहता है। स्थानीय निवासी गौरव नैथानी, तरुण पंवार, शैलेन्द्र भारती, अशोक चौधरी ने कहा कि मुख्यालय के एक मात्र खेल मैदान को मिनी स्टेडियम के रूप में विकसित करने, इसकी सुरक्षा पर ध्यान देने के बजाय शासन-प्रशासन मैदान के अस्तित्व को मिटाने पर आमदा है। केंद्र और राज्य सरकार के लाख दावे के बाद भी नगरीय कस्बे के प्रमुख मैदान की दुर्दशा बनी है। कहा कि लोगों ने अपनी भूमि इसलिए दान नहीं दी कि इस खेल मैदान को आवारा पशुओं की शरणगाह, अनावश्यक वाहनों की पार्किंग स्थल बना दिया जाए। कहा कि बीते दिनों मैदान में पानी के तालाब बने हैं जिसे देखकर निराश और दुखी हो रहे कुछ स्थानीय युवाओं ने श्रमदान से मैदान में फैले पानी का रिसाव किया। उन्होंने कहा कि नगर की एकमात्र पहचान गुलाबराय मैदान का संरक्षण और इसके मिनी स्टेडियम के रूप में विकसित नहीं किया गया तो स्थानीय लोगों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।