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छड़ी यात्रा से धार्मिक पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़़ेंगे: महंत हरि गिरी

ऋषिकेश(आरएनएस)।   उत्तराखंड के केदार खंड और मानस खंड के पौराणिक तीर्थों के भ्रमण के लिए हरिद्वार से निकली जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी‌ यात्रा बुधवार को ऋषिकेश पहुंचीं। छड़ी यात्रा ने ऋषिकेश के तमाम प्राचीन मंदिरों का भ्रमण किया। बुधवार सुबह छड़ी यात्रा जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरी, अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरी महाराज और अन्य संतों के नेतृत्व में ऋषिकेश पहुंची। सबसे पहले मायाकुंड स्थित तारा माता मंदिर में मंहत संध्या गिरी, मंहत सरस्वती गिरी, खुशी गिरी, संजय शास्त्री, ऋषिकेश गिरी, गंभीर सिंह मेवाड़, पंडित मुकेश, महाकाल गिरी, सत्यम‌, महेश, महंत रामेश्वर गिरी ने पूजा अर्चना कर छड़ी यात्रा का स्वागत किया। इसके पश्चात छड़ी यात्रा ने ऋषिकेश के भरत मंदिर, सोमेश्वर मंदिर, वीरभद्र मंदिर, चंद्रेश्वर मंदिर, त्रिवेणी घाट स्थित दुर्गा मंदिर के दर्शन किए। महंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि छड़ी यात्रा का उद्देश्य आमजन में धर्म जागरण और देवभूमि उत्तराखंड में तीर्थाटन और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य से लगातार हो रहे पलायन पर रोक का संदेश देना है। इस यात्रा का प्रारंभ आदि शंकराचार्य ने ढाई हजार वर्ष पूर्व किया था। इस छड़ी यात्रा के माध्यम से सनातन धर्म की स्थापना के साथ चारों दिशाओं में मठों की स्थापना भी की थी। जूना अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया कि जूना अखाड़े की चारों मढ़ियों के महंतों की अगुवाई में पवित्र छड़ी यात्रा का‌‌ समापन गढ़वाल मंडल स्थित केदार खंड तथा कुमाऊं स्थित मानस खंड के समस्त पौराणिक तीर्थों के‌ दर्शन के पश्चात 24 नवम्बर को मायादेवी मंदिर में होगा। गढ़वाल के प्रमुख स्थानों पर यात्रा रवाना होने से पहले स्वच्छता के प्रति प्रधानमंत्री के विचारों से प्रेरित होकर महंत हरि गिरी, महंत प्रेम गिरी, महंत नारायण गिरी, महंत केदारपुरी, महंत महेश पुरी, जूना अखाड़े के नवनियुक्त मंत्री रंजीता नंद गिरी, साध्वी महंत योगेश्वर पुरी, महंत महेश पुरी, महंत शैलेंद्र गिरि आदि के नेतृत्व में अखाड़े के संतों ने ऋषिकेश स्थित‌ त्रिवेणी घाट पर भगवान ‌दतात्रेय‌ की मूर्ति की‌ साफ सफाई कर पंचद्रव्य स्नान व पूजा अर्चना की। ऋषिकेश से महामंडलेश्वर ‌स्वामी नरसिंहमा नंद गिरी, छड़ी मंहत शिवदत गिरी, महेश पुष्कर राजगीरी, मंहत रतन गिरी, महंत आदित्य गिरी, महंत वशिष्ठ गिरी, मंहत आकाश गिरी, मंहत जनकपुरी ने यात्रा को गंगा पूजन के उपरांत रवाना किया।