विकासनगर(आरएनएस)। जौनसार के दर्जनों गांवों में सोमवार की रात काठ का हाथी और हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दीवाली पर्व का समापन हुआ। विदाकारी रस्म के साथ पांच दिनों से चल रही बूढ़ी दीवाली का जश्न थम गया है। इस दौरान पूरा जौनसार-बावर क्षेत्र लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा। पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहे। बूढ़ी दीवाली को लेकर पूरे जौनसार क्षेत्र के ग्रामीणों में खूब उत्साह नजर आया। हर्षोल्लास के साथ ग्रामीणों ने पंरपरागत तरीके से त्योहार मनाया। कारोबार और नौकरी-पेशे के सिलसिले में बाहर शहरों में रहने वाले लोग भी बड़ी संख्या में बूढ़ी दीवाली मनाने अपने घर पहुंचे थे। पारंपरिक रीति रिवाज से मनाई जा रही दीवाली होलियात से शुरू होकर विदाकारी रस्म के साथ सम्पन्न हुई। सोमवार को पंरपरा के अनुसार दोपहर से शुरू हुआ हाथी और हिरण नृत्य का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। चकराता, कालसी के ग्राम टुंगरा, पाटा, निथला, मगरोली, आदि दर्जनों गांवों में काठ के हाथी, हिरण पर स्याणा ने दोनों हाथ में तलवारें लेकर नृत्य किया। स्याणा के हाथी पर बैठकर नृत्य करने का दृश्य देखते ही बन रहा था। इसी तरह मंगरोली, टुंगरा, बिरमऊ, नगऊ, क्यावा, पाटी, मोहना, रावना, बुरास्वा, मैपावटा, टुंगरा, रिखाड़, बिसोई, आदि दर्जनों गांवों में हास्य नाटकों का मंचन भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। ग्रामीणों ने रातभर पौराणिक गीतों पर हारुल नृत्य किया। इसी के साथ सोमवार को विदाकारी के साथ बूढ़ी दीवाली का समापन हुआ।
काठ का हाथी, हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दीवाली पर्व संपन्न
