मानसखंड विज्ञान केंद्र अल्मोड़ा में बनेगा कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन सेल


अल्मोड़ा, उत्तराखंड:
मानसखंड विज्ञान केंद्र, सुनौला स्यालिद्धार, अल्मोड़ा में वन पंचायतों के सशक्तिकरण पर एक भव्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अनेक वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एस.पी. सिंह, पूर्व कुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदीप धौलाखंडी, प्रभागीय वनाधिकारी, सिविल सोयम, अल्मोड़ा शामिल रहे। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा ने की। केंद्र प्रभारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि वनों का संरक्षण आवश्यक है और कार्बन क्रेडिट अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि राज्य की लगभग आधी आबादी किसी न किसी रूप में वन पंचायतों पर निर्भर है और इन पंचायतों को सशक्त किए बिना सतत विकास की कल्पना अधूरी है।

यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने ऑनलाइन संबोधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वन पंचायतों की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने नॉन टिम्बर फॉरेस्ट उत्पादों के आकलन हेतु तकनीकी उपयोग पर बल दिया। साथ ही, मानसखंड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा में कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन सेल की स्थापना की घोषणा की, जिससे पूरे क्षेत्र के वनों का कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन संभव होगा। उन्होंने वन पंचायतों को और मजबूत करने तथा जिला स्तर पर कार्बन क्रेडिट का डैशबोर्ड बनाने की आवश्यकता बताई।

प्रभागीय वनाधिकारी, सिविल सोयम, अल्मोड़ा प्रदीप धौलाखंडी ने वन पंचायतों के इतिहास, वनाग्नि, संरक्षण में उनकी भूमिका और विभाग द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा की। मुख्य अतिथि प्रो. एस.पी. सिंह ने वनों से मिलने वाले लाभ और कार्बन क्रेडिट में वन पंचायतों के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैज्ञानिकों और आम जनमानस को मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। अध्यक्ष प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने वनों के रखरखाव में शिक्षा और विज्ञान के उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यशाला में एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ. जी.सी.एस. नेगी ने उद्देश्य एवं प्रयोजन पर विस्तार से जानकारी दी। सचिव महिला हाट कृष्णा बिष्ट ने महिलाओं की अपेक्षाओं और वन पंचायतों में उनकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला कार्बन क्रेडिट की समझ विकसित करने और वन पंचायतों के लिए उपयोगी साबित होगी। डॉ. एस.एस. सामंत ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

तकनीकी सत्र

तकनीकी सत्र में विभिन्न विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। डॉ. जी.सी.एस. नेगी ने “वनों से कार्बन क्रेडिट द्वारा आय” विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी और बताया कि वैश्विक स्तर पर कार्बन क्रेडिट की मांग बढ़ रही है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों की वन पंचायतें इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। परियोजना समन्वयक डॉ. प्रदीप सिंह ने वनों में कार्बन क्रेडिट का विश्लेषण प्रस्तुत किया। गणेश जोशी, तारा दत्त तिवारी, विनोद पांडेय, हेमंत नेगी आदि ने भी अपने विचार साझा किए।

प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता कृष्णा बिष्ट ने की, जबकि द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. जी.सी.एस. नेगी ने की। डॉ. हर्षित पंत उपाध्यक्ष रहे। सत्र का संचालन डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने किया।

समापन समारोह

समापन समारोह में डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने वनों के संरक्षण में वन पंचायतों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि ये पंचायतें ग्रामीण समाज की आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की रक्षा में महत्वपूर्ण हैं। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जी.एस. रावत, पूर्व निदेशक, वन्यजीव संस्थान, देहरादून उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि में पद्मश्री अनूप शाह, पर्यावरणविद, तथा आई.डी. भट्ट, निदेशक प्रभारी, गोविन्द बल्लभ पंत पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा शामिल रहे। प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। अंत में डॉ. जी.सी.एस. नेगी ने धन्यवाद ज्ञापन देकर कार्यक्रम का समापन किया।

इस कार्यक्रम में विभिन्न वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों, पंचायत प्रतिनिधियों तथा स्थानीय प्रतिभागियों ने भाग लिया। साथ ही जी.बी. पंत संस्थान के वैज्ञानिक आशीष पांडे, स्पर्धा संस्था के दीप बिष्ट, राजेंद्र कांडपाल, दिनेश पिलख्वाल सहित बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहे।