Uttarakhand । मिड डे मील व्यवस्था में सामने आया छुआछूत का खेल, की इसे समाप्त करने की मांग

श्रीनगर गढ़वाल : आरटीई कार्यकर्ता कुशलानाथ ने चंपावत के राइंका सूखीडांग में अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथ का भोजन न खाए जाने के प्रकरण को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिर में छुआछूत का वातावरण बनने से वहां या अन्य आस-पास के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की मनोस्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

इस संदर्भ में उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष को भेजे ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में डेढ़ साल की अवधि तक स्कूलों में भोजन नहीं बना तब भी सभी गरीब बच्चों ने अपने घर पर ही खाना खाया और सरकार द्वारा उन बच्चों के हिस्से का मिड डे घर पर दिया गया।

उन्होंने आयोग अध्यक्ष से राज्य के उन विद्यालयों जिनमें मिड डे के समय छुआछूत कानून का उल्लघंन किया जाता है उनकी जांच करने के साथ ही स्कूलों में मिड डे मील व्यवस्था समाप्त करनेकी मांग की है।