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विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने मनाया 102वां स्थापना दिवस



अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा ने शुक्रवार को अपना 102वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। समारोह का आयोजन संस्थान के अल्मोड़ा स्थित सभागार में हुआ, जिसकी शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, महानिदेशक, भारतीय उर्वरक संघ, नई दिल्ली द्वारा पूजन एवं स्वामी विवेकानंद की मूर्ति पर माल्यार्पण से हुई। डॉ. चौधरी ने पंचम पद्म भूषण प्रो. बोशी सेन स्मृति व्याख्यान में कहा कि वैदिक काल से अब तक कृषि के स्वरूप में व्यापक परिवर्तन आए हैं। उन्होंने टिकाऊ खेती, जल संरक्षण और छोटे कृषि यंत्रों के विकास में संस्थान के कार्यों की सराहना की। साथ ही हिमालयी पारिस्थितिकी में कृषि और पशुपालन के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए डॉ. ओ. पी. यादव, पूर्व निदेशक, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने वर्चुअल माध्यम से जुड़कर संस्थान को बधाई दी और कहा कि इस संस्थान ने चुनौतियों को अवसरों में बदलने का काम किया है। रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद ने प्रो. बोशी सेन को स्मरण करते हुए विज्ञान और धर्म के समन्वय पर बात की। उन्होंने संस्थान की शोध उपलब्धियों की सराहना करते हुए उसके सतत विकास की कामना की। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. एस. बिष्ट ने संस्थान को आध्यात्म और कृषि शोध का संगम बताया और पर्वतीय किसानों के लिए संस्थान के योगदान की प्रशंसा की। इस अवसर पर सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. एस. के. दूबे, डॉ. एम. सी. जोशी और संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने भी अपने विचार रखे। डॉ. जोशी ने संस्थान के ऐतिहासिक योगदानों का उल्लेख करते हुए बताया कि यहां देश के कई शीर्ष नेताओं ने भ्रमण कर शोध कार्यों की सराहना की है। कार्यक्रम में मंडुवा की नई प्रजाति वीएल मंडुवा 409 का लोकार्पण तथा चार कृषि विषयक पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया। साथ ही संस्थान के विभिन्न परियोजनाओं एवं वर्षभर की प्रमुख उपलब्धियों की प्रस्तुति दी गई। स्थापना दिवस पर प्रगतिशील कृषक चावला, जुनैद अहमद, बलवंत सिंह नगरकोटी, मनोज सिंह भरड़ा और नंदन सिंह करायत को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मेयर अजय वर्मा, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, डीआईबीईआर हल्द्वानी, भीमताल मत्स्य अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, कर्मचारी एवं सेवानिवृत्त वैज्ञानिक उपस्थित रहे।

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